Friday, 19 February 2016



indira gandhi national open university in hindi
प्रस्तावना

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू), जो 1985 में एक संसदीय कानून के तहत स्थापित हुआ, समावेशी शिक्षा के माध्यम से एक समावेशी ज्ञान समाज का निर्माण करने का सतत प्रयास करता रहा है। इसने मुक्त एवं दूर शिक्षा (ओडीएल) के जरिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराकर सकल दाखिला अनुपात (जीईआर) बढ़ाने का प्रयास किया है।
 
विश्वविद्यालय का शुभारंभ वर्ष 1987 में दो शैक्षिक कार्यक्रमों - प्रबंधन में डिप्लोमा और दूर शिक्षा मंे डिप्लोमा - और 4,528 विद्यार्थियों  से हुआ।
 
आज, यह अपने 21 अध्ययन विद्यापीठों, 67 क्षेत्रीय केंद्रों, करीब 3,000 विद्यार्थी सहयोग केंद्रों और 67 विदेशी कंेद्रों की मदद से भारत एवं 36 अन्य देशों में 40 लाख से अधिक विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षाओं की पूर्ति कर रहा है। इग्नू अपने मुख्यालय एवं क्षेत्रीय केंद्रों में 420 संकाय सदस्यों और उच्च शिक्षा के पारंपरिक संस्थानों, पेशेवर संगठनों एवं उद्योग क्षेत्र के करीब 36,000 शैक्षिक परामर्शदाताओं की मदद से करीब 490 सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री एवं डाक्टोरल कार्यक्रम संचालित करता है।
 
विश्वविद्यालय के अधिदेश हैं:
 
  • समाज के सभी वर्गों को उच्च शिक्षा प्रदान करना,
  • उन लोगों को उच्च स्तरीय, अभिनव और जरूरत-आधारित कार्यक्रम प्रदान करना जिन्हें इनकी जरूरत है,
  • देश के सभी हिस्सों में वंचितों को किफायती शैक्षिक कार्यक्रम मुहैया करना,
  • देश में दूर एवं मुक्त शिक्षा के जरिए शिक्षा के मानकों का संवर्द्धन, समन्वय और नियमन करना,
  • समाज के सभी वर्गों तक शिक्षा की पहुंच का विस्तार एवं अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में सतत पेशेवर विकास एवं प्रशिक्षण के दोहरे लक्ष्य को पूरा करने के लिए इग्नू शिक्षा के क्षेत्र में कई माध्यमों एवं अद्यतन तकनीकों को इस्तेमाल करता है। यह इग्नू की इस परिकल्पना में भी परिलक्षित होता है जिसे हमेशा ध्यान में रखा जाता है। यह है:मुक्त और दूर शिक्षा के लिए राष्ट्रीय संसाधन केंद्र इग्नू, जो अंतर्राष्ट्रीय पहचान और उपस्थिति वाला संस्थान है, अभिनव तकनीकियों एवं विधियों का इस्तेमाल कर सभी को सतत एवं विद्यार्थी-केंद्रित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, कौशल सुधार एवं प्रशिक्षण की निर्बाध सुविधा उपलब्ध कराने एवं समेकित राष्ट्रीय विकास और वैश्विक समझ के विकास के उद्देश्य से जरूरी विशाल मानव संसाधन के लिए वर्तमान प्रणालियों का अभिसरण सुनिश्चित करने के दायित्व का निर्वाह करेगा। 
 
विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा, सामुदायिक शिक्षा और सतत पेशेवर विकास के क्षेत्रों में शानदार उपलब्धि हासिल की है। विश्वविद्यालय  कई जाने-माने लोक संस्थानों और निजी उद्यमों के साथ उनके द्वारा उपलब्ध शैक्षिक मौकों को बढ़ाने के लिए काम करता रहा है। दूर शिक्षा में विश्व नेता की हैसियत से इसे कॉमनवेल्थ ऑफ लर्निंग (सीओएल), कनाडा, द्वारा कई बार उत्कृष्टता का पुरस्कार दिया जा चुका है। जनवरी, 2010 में इसे भारतीय विश्वविद्यालयों की वेबोमेट्रिक रैंकिंग में 12वां स्थान दिया गया। यह इंटरनेट पर उसकी उपस्थिति क्षमता पर आधारित था।
 
इग्नू शिक्षण, शोध, प्रशिक्षण और विस्तार गतिविधियों में गुणवत्ता के प्रति समर्पित है और यह ओडीएल प्रणाली में विशेषज्ञता एवं ढांचागत सुविधा का राष्ट्रीय संसाधन केंद्र है। इसने विशेष विद्यार्थी समूहों पर फोकस करने और दूर शिक्षा प्रणाली को सवंर्द्धित करने के लिए सेंटर फॉर एक्सटेंशन एजुकेशन, नेशनल सेंटर फॉर डिसेबिलिटी स्टडीज एवं नेशनल सेंटर फॉर इनोवेशन इन डिस्टेंस एजुकेशन की स्थापना की है। इग्नू की दूर शिक्षा परिषद देश में ओडीएल प्रणाली के नियमन एवं प्रबंधन में भूमिका निभाती है।
 
20 सितंबर, 2004 को एडुसैट (सिर्फ शिक्षा को समर्पित उपग्रह) के प्रक्षेपण और इंटर-यूनिवर्सिटी कंसोर्टियम की स्थापना के साथ ही विश्वविद्यालय देश में प्रौद्योगिकी-समर्थ शिक्षा के नए युग में प्रवेश कर गया। आज 134 सक्रिय दोतरफा विडियो कांफ्रेंसिंग केंद्र हैं, सभी क्षेत्रीय केंद्रों एवं उच्च दाखिला वाले अध्ययन कंेद्रों को नेटवर्क संपर्क दिया गया है जिससे अंतःक्रियात्मक डिजिटल अंतर्वस्तु का आदान-प्रदान संभव हो गया है।
 
अंतःक्रियात्मक मल्टीमीडिया और ऑनलाइन लर्निंग विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही पारंपरिक दूर शिक्षा डिलिवरी मोड को भी प्रौद्योगिकी-समर्थ शिक्षा की मदद से मूल्यवर्धित किया जा रहा है। इस प्रयास के तहत परिसर, कुछ क्षेत्रीय केंद्रों और इस उद्देश्य से इग्नू द्वारा समझौता किए गए संस्थानों में कई पूर्णकालिक कार्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं।
 
जैसा कि पहले कहा जा चुका है, विश्वविद्यालय ने व्यापक अंतर्राष्ट्रीय पहंुच भी कायम की है। यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों एवं गोष्ठियों में अपने संकाय सदस्यों की भागीदारी को बढ़ावा देता है और उसका वित्तीय भार वहन करता है। साथ ही, कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन भी करता है।
 
व्याख्यान देने एवं संकाय से संपर्क के लिए विदेशी विद्वानों का नियमित दौरा भी होता है। विश्वविद्यालय ने साझेदारी व्यवस्था के जरिए दुनिया भर में अपने शैक्षिक कार्यक्रमों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के अलावा कई विदेशी संस्थानों को अपनी शिक्षण सामग्रियों के अंगीकरण/स्वीकरण/इस्तेमाल की भी अनुमति दे रखी है।
 
वर्षों से इग्नू समाज के उपेक्षित वर्गों को शिक्षा प्रदान करने की देश की आकांक्षाओं को जिंदा रखा है। देश में सभी जेल कैदियों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है। इग्नू के विभिन्न कार्यक्रमों में बड़े पैमाने पर अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के छात्रों को दाखिला दिया गया है।
 
ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ लंकाशायर (यूक्लैन) के सहयोग से अनुप्रयुक्त संकेत भाषा में कला स्नातक कार्यक्रम नामक एक अभिनव कार्यक्रम शुरू किया गया है। यह दुनिया में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है।
 
JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY  IN HINDI




विश्‍वविद्यालय का उद्‍देश्य मानवता, सहनशीलता, तर्कशीलता, चिन्तन प्रक्रिया और सत्य की खोज की भावना को स्थापित करना होता है। इसका उद्‍देश्य मानव जाति को निरन्तर महत्तर लक्ष्य की ओर प्रेरित करना होता है। अगर विश्‍वविद्यालय अपना कर्तव्य ठीक से निभाएं तो यह देश और जनता के लिए अच्छा होगा।"Nehru Statue
स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री द्वारा 13 दिसम्बर 1947 को इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय की हीरक जयंती के अवसर पर दिए गए उपर्युक्‍त वक्‍तव्य से यह साफ पता चलता है कि जवाहरलाल नेहरू ने भारत में विश्‍वविद्यालीय शिक्षा को विशेष महत्त्व दिया है। उनका दॄढ़ विश्‍वास था कि विश्‍वविद्यालय अपने छात्रों के मन में उन आधारभूत मूल्यों को सहेजते हुए राष्‍ट्र के स्वरूप को बदलने और उसे शक्‍तिशाली बनाने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं जिनमे वे विश्‍वास रखते हैं।
ऐसे महान राजनेता के विचारों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय की स्थापना जेएनयू अधिनियम 1966 (1966 का 53) के अन्तर्गत भारतीय संसद् द्वारा 22 दिसंबर 1966 में की गई थी। पं. जवाहरलाल नेहरू को और अधिक सम्मान देने की दॄष्‍टि से विश्‍वविद्यालय का औपचारिक उद्‍घाटन भारत के तत्कालीन राष्‍ट्रपति स्व. श्री वी.वी. गिरी द्वारा उनके जन्म दिवस के अवसर पर 14 नवम्बर 1969 को किया गया था। संयोगवश यह वर्ष महात्मा गाँधी का जन्मशती वर्ष भी था।
विश्‍वविद्यालय के उद्‍देश्य हैं : -
अध्ययन, अनुसंधान और अपने संगठित जीवन के उदाहरण और प्रभाव द्वारा ज्ञान का प्रसार तथा अभिवृद्धि करना। उन सिद्धान्तों के विकास के लिए प्रयास करना, जिनके लिए जवाहरलाल नेहरू ने जीवन-पर्यंत काम किया। जैसे - राष्‍ट्रीय एकता, सामाजिक न्याय, धर्म निरपेक्षता, जीवन की लोकतांत्रिक पद्धति, अन्तरराष्‍ट्रीय समझ और सामाजिक समस्याओं के प्रति वैज्ञानिक दॄष्‍टिकोण।
इस लक्ष्य की दिशा में, विश्‍वविद्यालय : -
  • भारत की सामासिक संस्कृति के संवर्धन के लिए ऐसे विभाग और संस्थान स्थापित करेगा जो भारत की भाषाओं, कलाओं और संस्कृति के अध्ययन तथा विकास के लिए अपेक्षित हों;
  • सम्पूर्ण भारत से छात्रों और अध्यापकों को उसके शैक्षिक कार्यक्रमों में भाग लेने की सुविधा देने के लिए विशेष उपाय करेगा;
  • छात्रों और अध्यापकों में देश की सामाजिक आवश्यकताओं के प्रति जागरूकता और बोध की अभिवृद्धि करते हुए उन्हें इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए तैयार करेगा;
  • अपने शैक्षिक कार्यक्रमों में मानविकी के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भी समन्वित पाठ्यक्रमों के लिए विशेष व्यवस्था करेगा;
  • अन्तर-विषयक अध्ययन के प्रोत्साहन के लिए समुचित उपाय करेगा;
  • छात्रों में विश्‍वव्यापी दॄष्‍टिकोण और अन्तरराष्‍ट्रीय समझ विकसित करने की दॄष्‍टि से ऐसे विभाग या संस्थान स्थापित करेगा जो विदेशी भाषाओं, साहित्य और जीवन के अध्ययन के लिए आवश्यक हों; और
  • शैक्षिक कार्यक्रमों और गतिविधियों में भाग लेने हेतु विभिन्न देशों से आए छात्रों और अध्यापकों के लिए सुविधाएँ प्रदान करेगा।
जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय की अद्वितीयता का प्रमाण इसके मूल दर्शन, नीतियों और मुख्य कार्यक्रमों से मिलता है, जिनका उल्लेख विश्‍वविद्यालय के अधिनियम में स्पष्‍ट रूप से किया गया है। तदनुसार, विश्‍वविद्यालय का हमेशा यही प्रयास रहा है कि ऐसी नीतियाँ और अध्ययन के कार्यक्रम विकसित किए जाएं, जो उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पहले से उपलब्ध सुविधाओं में मात्र विस्तार न होकर राष्‍ट्रीय संसाधनों में महत्त्वपूर्ण वृद्धि करें। इस तरह विश्‍वविद्यालय ऐसे कार्यक्रमों पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है, जो राष्‍ट्र की उन्नति और विकास के लिए अर्थपूर्ण हों। इस संबंध में, विश्‍वविद्यालय ने निम्नलिखित प्रयास किए हैं -
  • विश्‍वविद्यालय की ओर से राष्‍ट्रीय एकता, धर्मनिरपेक्षता जैसे विचारों और जीवन के प्रति विश्‍वव्यापी वैज्ञानिक और मानववादी दॄष्‍टिकोण विकसित करने के लिए निरन्तर प्रयास किए गए हैं।
  • विश्‍वविद्यालय ने देश के विभिन्न क्षेत्रों से छात्रों और शिक्षकों का चयन करके अपने राष्‍ट्रीय चरित्र को बनाए रखा है।
  • विश्‍वविद्यालय में ज्ञान की अविभाज्यता को स्वीकारते हुए अन्तर-विषयक शिक्षण तथा शोध को बढ़ावा दिया गया है और तदनुसार अध्ययन संस्थानों और केंद्रों की स्थापना की गई है।
  • विश्‍वविद्यालय में ग़ैर-परम्परागत क्षेत्रों में शिक्षण एवं शोध पर बल देते हुए यह सुनिश्‍चित किया गया है कि जहाँ तक संभव हो सके अन्य विश्‍वविद्यालयों में शोध एवं अनुसंधान की पुनरावृत्ति न हो।
  • विश्‍वविद्यालय में भारतीय और विदेशी भाषाओं के शिक्षण और शोध का एक मॉडल भाषा संस्थान स्थापित करने पर ध्यान दिया गया है। इसमें विभिन्न उपकरणों से सुसज्जित भाषा प्रयोगशालाएँ और केंद्र हैं, जहाँ सम्बन्धित देशों के साहित्य, संस्कृति और सभ्यता का अध्ययन उचित पद्धति के सहारे प्रभावी ढंग से होता है।
  • विश्‍वविद्यालय में एक ऐसी पद्धति विकसित की गई है, जिसके अन्तर्गत पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम, उन पाठ्यक्रमों की संक्षिप्‍त विषय-वस्तु और मूल्यांकन पद्धति जैसे मूल शैक्षिक निर्णय स्वयं शिक्षकों द्वारा ही लिए जाते हैं।
  • विश्‍वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश पूरे देश में फैले केंद्रों पर आयोजित अखिल भारतीय प्रवेश-परीक्षा में प्राप्‍त अंकों की मेरिट सूची के आधार पर दिया जाता है।
  • भारत सरकार की नीति के अनुसार, विश्‍वविद्यालय में छात्रों के प्रवेश और शिक्षकों को नियुक्‍ति में आरक्षण दिया जाता है।
  • विश्‍वविद्यालय में मेरिट-कम-मींस छात्रवृत्तियों/अध्येतावृत्तियों के लिए उचित प्रावधान हैं। छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों को उनके शोध कार्य के लिए देश-विदेश का दौरा करने हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
  • विश्‍वविद्यालय अन्तरराष्‍ट्रीय समझ को प्रोत्साहित करने की दॄष्‍टि से विदेशों के विश्‍वविद्यालयों/संस्थानों के साथ सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रमों में भाग लेता है। इस दिशा में विश्‍वविद्यालय ने कई विदेशी विश्‍वविद्यालयों/संस्थानों के साथ 'एमओयू` पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • छात्रों और विश्‍वविद्यालय प्रशासन के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए एक शिकायत निवारण समिति का गठन किया गया है।
  • एक स्वच्छ सामाजिक वातावरण और जेएनयू समुदाय में सुरक्षा की भावना विकसित करने की दॄष्‍टि से विश्‍वविद्यालय में यौन उत्पीड़न के विरुद्ध जेंडर संवेदनशीलन समिति का गठन किया गया है।
  • विशेष अध्ययन के लिए विश्‍वविद्यालय में बाबा साहेब अम्बेडकर चेयर, नेल्सन मंडेला चेयर, अप्पादुरई चेयर, राजीव गांधी चेयर, आर.बी.आई. चेयर, एस.बी.आई. चेयर, ग्रीक चेयर जैसी कई पीठों (चेयर) की स्थापना की गई हैं।
  • विश्‍वविद्यालय के दलित छात्रों के शैक्षिक/वित्तीय सम्बन्धी मामलों की देख-रेख के लिए एक सलाहकार समिति का गठन किया गया है।
  • विश्‍वविद्यालय द्वारा विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को प्रवेश परीक्षा में वेटेज देने से संबंधित महत्त्वपूर्ण कदम वर्ष 1995 में उठाए गए थे तथा समय-समय पर भारत सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पालन किया जाता है।
  • जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय 36 प्रतिभागी विश्‍वविद्यालयों के एम.एस-सी. - जैव-प्रौद्योगिकी, एम.एस-सी. - कृषि जैव-प्रौद्योगिकी, एम.वी.एस-सी. (एनिमल) जैव-प्रौद्योगिकी और एम.टेक. जैव-प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए संयुक्‍त जैव-प्रौद्योगिकी प्रवेश परीक्षा सफलतापूर्वक आयोजित कर रहा है। यह प्रवेश परीक्षा अखिल भारतीय स्तर पर विश्‍वविद्यालय में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षाओं के साथ आयोजित की जाती है।
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Thursday, 18 February 2016

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