Monday, 10 August 2015
Friday, 7 August 2015
Tree Plantation save environment Anmol Bachal Shiv Shanker by Rattan Chand |
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शिव है धर्म का मूल
shiv shanker , har har mahadev,bhole nath jai shiv shanker ,om name shivaya
सत्यम, शिवम और सुंदरमअनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
''शिव का द्रोही मुझे स्वप्न में भी पसंद नहीं।''- भगवान राम
।।ॐ।। ओम नम: शिवाय।- 'ओम' प्रथम नाम परमात्मा का फिर 'नमन' शिव को करते हैं। 'सत्यम, शिवम और सुंदरम' जो सत्य है वह ब्रह्म है:- ब्रह्म अर्थात परमात्मा। जो शिव है वह परम शुभ और पवित्र आत्म तत्व है और जो सुंदरम है वही परम प्रकृति है। अर्थात परमात्मा, शिव और पार्वती के अलावा कुछ भी जानने योग्य नहीं है। इन्हें जानना और इन्हीं में लीन हो जाने का मार्ग है-हिंदुत्व।
शिव है प्रथम और शिव ही है अंतिम। शिव है सनातन धर्म का परम कारण और कार्य। शिव को छोड़कर अन्य किसी में मन रमाते रहने वाले सनातन विरुद्ध है। शिव है धर्म की जड़। शिव से ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है। सभी जगत शिव की ही शरण में है, जो शिव के प्रति शरणागत नहीं है वह प्राणी दुख के गहरे गर्त में डूबता जाता है ऐसा पुराण कहते हैं। जाने-अनजाने शिव का अपमान करने वाले को प्रकृति कभी क्षमा नहीं करती है।
शिव का रूप : शिव यक्ष के रूप को धारण करते हैं और लंबी-लंबी खूबसूरत जिनकी जटाएँ हैं, जिनके हाथ में ‘पिनाक’ धनुष है, जो सत् स्वरूप हैं अर्थात् सनातन हैं, यकार स्वरूप दिव्यगुणसम्पन्न उज्जवलस्वरूप होते हुए भी जो दिगम्बर हैं। जो शिव नागराज वासुकि का हार पहिने हुए हैं, वेद जिनकी बारह रुद्रों में गणना करते हैं, पुराण उन्हें शंकर और महेश कहते हैं उन शिव का रूप विचित्र है। अर्धनग्न शरीर पर राख या भभूत मले, जटाधारी, गले में रुद्राक्ष और सर्प लपेटे, तांडव नृत्य करते हैं तथा नंदी जिनके साथ रहता है। उनकी भृकुटि के मध्य में तीसरा नेत्र है। वे सदा शांत और ध्यानमग्न रहते हैं। इनके जन्म का अता-पता नहीं हैं। वे स्वयंभू माने गए हैं।
शिव निवास : तिब्बत स्थित कैलाश पर्वत पर प्रारम्भ में उनका निवास रहा। वैज्ञानिकों के अनुसार तिब्बत धरती की सबसे प्राचीन भूमि है और पुरातनकाल में इसके चारों ओर समुद्र हुआ करता था। फिर जब समुद्र हटा तो अन्य धरती का प्रकटन हुआ। जहाँ पर शिव विराजमान हैं उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है जो भगवान विष्णु का स्थान है। शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक और फिर ब्रह्माजी का स्थान है। ऐसा पुराण कहते हैं।
शिव भक्त : ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवी-देवताओं सहित भगवान राम और कृष्ण भी शिव भक्त है। हरिवंश पुराण के अनुसार, कैलास पर्वत पर कृष्ण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की थी।
शिव ध्यान : शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान-पूजन किया जाता है। शिवलिंग को बिल्वपत्र चढ़ाकर शिवलिंग के समीम मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है।
शिव मंत्र : दो ही शिव के मंत्र हैं पहला- ॐ नम: शिवाय। दूसरा महामृत्युंजय मंत्र- ॐ ह्रौं जू सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जू ह्रौं ॐ ॥
शिव पर्व : महाशिवरात्रि भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। श्रावण मास में व्रत रखने के पश्चात्य इस पर्व को मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के नियम हैं।
शिव परिवार : शिव की अर्धांगिनी का नाम पार्वती है। इनके दो पुत्र हैं स्कन्द और गणेश। स्कंद को कार्तिकेय भी कहते हैं। आदि सतयुग के राजा दक्ष की पुत्री पार्वती माता को सती कहा जाता है। यह सती शब्द बिगड़कर 'शक्ति' हो गया। पार्वती नाम इसलिए पड़ा की वे पर्वतराज अर्थात पर्वतों के राजा की पुत्र थीं। राजकुमारी थीं, लेकिन वे भस्म रमाने वाले योगी शिव को अपना पति बनाना चाहती थीं। शिव के कारण ही उनका नाम शक्ति हो गया। पिता की अनिच्छा से उन्होंने हिमालय के इलाके में ही रहने वाले योगी शिव से विवाह कर लिया।
शिव महिमा : शिव ने कालकूट नामक विष पिया था जो अमृत मंथन के दौरान निकला था। शिव ने भस्मासुर को जो वरदान दिया था उसके जाल में वे खुद ही फँस गए थे। शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। शिव ने दक्ष के यज्ञ को नष्ट कर दिया था। ब्रह्मा द्वारा छल किए जाने पर शिव नेब्रह्मा को शापित कर विष्णु को वरदान दिया था। शिव की महिमा का वर्णन पुराणों मेंमिलता है।
शैव परम्परा : ऋग्वेद में वृषभदेव का वर्णन मिलता है, जो जैनियों के प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ कहलाते हैं। माना जाता है कि शिव के बाद मूलत: उन्हीं से एक ऐसी परम्परा की शुरुआत हुई जो आगे चलकर शैव, सिद्ध, नाथ, दिगम्बर और सूफी सम्प्रदाय में विभक्त हो गई। फिर भी यह शोध का विषय है। शैव, शाक्तों के धर्मग्रंथों में शिव परंपरा का उल्लेख मिलता है। भारत के चंद्रवंशी, सूर्यवंशी, अग्निवंशी और नागवंशी भी शिव की परंपरा से ही माने जाते हैं। भारत की रक्ष और आदिवासी जाति के आराध्य देव शिव ही हैं। शैव धर्म भारत के आदिवासियों का धर्म है।
शिव के प्रमुख नाम : शिव के वैसे तो अनेक नाम हैं जिनमें 108 नामों का उल्लेख पुराणों में मिलता है लेकिन यहाँ प्रचलित नाम जानें- महेश, नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, पशुपतिनाथ, गंगाधर, नटराज, त्रिनेत्र, भोलेनाथ, आदिदेव, आदिनाथ, त्रियंबक, त्रिलोकेश, जटाशंकर, जगदीश, प्रलयंकर, विश्वनाथ, विश्वेश्वर, हर, शिवशंभु, भूतनाथ और रुद्र।
अमरनाथ के अमृत वचन : शिव ने अपनी अर्धांगिनी पार्वती को मोक्ष हेतु अमरनाथ की गुफा में जो ज्ञान दिया उस ज्ञान की आज अनेकानेक शाखाएँ हो चली हैं। वह ज्ञानयोग और तंत्र के मूल सूत्रों में शामिल है। 'विज्ञान भैरव तंत्र' एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव द्वारा पार्वती को बताए गए 112 ध्यान सूत्रों का संकलन है।
शिव है प्रथम और शिव ही है अंतिम। शिव है सनातन धर्म का परम कारण और कार्य। शिव को छोड़कर अन्य किसी में मन रमाते रहने वाले सनातन विरुद्ध है। शिव है धर्म की जड़। शिव से ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है। सभी जगत शिव की ही शरण में है, जो शिव के प्रति शरणागत नहीं है वह प्राणी दुख के गहरे गर्त में डूबता जाता है ऐसा पुराण कहते हैं। जाने-अनजाने शिव का अपमान करने वाले को प्रकृति कभी क्षमा नहीं करती है।
शिव का रूप : शिव यक्ष के रूप को धारण करते हैं और लंबी-लंबी खूबसूरत जिनकी जटाएँ हैं, जिनके हाथ में ‘पिनाक’ धनुष है, जो सत् स्वरूप हैं अर्थात् सनातन हैं, यकार स्वरूप दिव्यगुणसम्पन्न उज्जवलस्वरूप होते हुए भी जो दिगम्बर हैं। जो शिव नागराज वासुकि का हार पहिने हुए हैं, वेद जिनकी बारह रुद्रों में गणना करते हैं, पुराण उन्हें शंकर और महेश कहते हैं उन शिव का रूप विचित्र है। अर्धनग्न शरीर पर राख या भभूत मले, जटाधारी, गले में रुद्राक्ष और सर्प लपेटे, तांडव नृत्य करते हैं तथा नंदी जिनके साथ रहता है। उनकी भृकुटि के मध्य में तीसरा नेत्र है। वे सदा शांत और ध्यानमग्न रहते हैं। इनके जन्म का अता-पता नहीं हैं। वे स्वयंभू माने गए हैं।
शिव निवास : तिब्बत स्थित कैलाश पर्वत पर प्रारम्भ में उनका निवास रहा। वैज्ञानिकों के अनुसार तिब्बत धरती की सबसे प्राचीन भूमि है और पुरातनकाल में इसके चारों ओर समुद्र हुआ करता था। फिर जब समुद्र हटा तो अन्य धरती का प्रकटन हुआ। जहाँ पर शिव विराजमान हैं उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है जो भगवान विष्णु का स्थान है। शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक और फिर ब्रह्माजी का स्थान है। ऐसा पुराण कहते हैं।
शिव भक्त : ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवी-देवताओं सहित भगवान राम और कृष्ण भी शिव भक्त है। हरिवंश पुराण के अनुसार, कैलास पर्वत पर कृष्ण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की थी।
शिव ध्यान : शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान-पूजन किया जाता है। शिवलिंग को बिल्वपत्र चढ़ाकर शिवलिंग के समीम मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है।
शिव मंत्र : दो ही शिव के मंत्र हैं पहला- ॐ नम: शिवाय। दूसरा महामृत्युंजय मंत्र- ॐ ह्रौं जू सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जू ह्रौं ॐ ॥
शिव पर्व : महाशिवरात्रि भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। श्रावण मास में व्रत रखने के पश्चात्य इस पर्व को मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के नियम हैं।
शिव परिवार : शिव की अर्धांगिनी का नाम पार्वती है। इनके दो पुत्र हैं स्कन्द और गणेश। स्कंद को कार्तिकेय भी कहते हैं। आदि सतयुग के राजा दक्ष की पुत्री पार्वती माता को सती कहा जाता है। यह सती शब्द बिगड़कर 'शक्ति' हो गया। पार्वती नाम इसलिए पड़ा की वे पर्वतराज अर्थात पर्वतों के राजा की पुत्र थीं। राजकुमारी थीं, लेकिन वे भस्म रमाने वाले योगी शिव को अपना पति बनाना चाहती थीं। शिव के कारण ही उनका नाम शक्ति हो गया। पिता की अनिच्छा से उन्होंने हिमालय के इलाके में ही रहने वाले योगी शिव से विवाह कर लिया।
शिव महिमा : शिव ने कालकूट नामक विष पिया था जो अमृत मंथन के दौरान निकला था। शिव ने भस्मासुर को जो वरदान दिया था उसके जाल में वे खुद ही फँस गए थे। शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। शिव ने दक्ष के यज्ञ को नष्ट कर दिया था। ब्रह्मा द्वारा छल किए जाने पर शिव नेब्रह्मा को शापित कर विष्णु को वरदान दिया था। शिव की महिमा का वर्णन पुराणों मेंमिलता है।
शैव परम्परा : ऋग्वेद में वृषभदेव का वर्णन मिलता है, जो जैनियों के प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ कहलाते हैं। माना जाता है कि शिव के बाद मूलत: उन्हीं से एक ऐसी परम्परा की शुरुआत हुई जो आगे चलकर शैव, सिद्ध, नाथ, दिगम्बर और सूफी सम्प्रदाय में विभक्त हो गई। फिर भी यह शोध का विषय है। शैव, शाक्तों के धर्मग्रंथों में शिव परंपरा का उल्लेख मिलता है। भारत के चंद्रवंशी, सूर्यवंशी, अग्निवंशी और नागवंशी भी शिव की परंपरा से ही माने जाते हैं। भारत की रक्ष और आदिवासी जाति के आराध्य देव शिव ही हैं। शैव धर्म भारत के आदिवासियों का धर्म है।
शिव के प्रमुख नाम : शिव के वैसे तो अनेक नाम हैं जिनमें 108 नामों का उल्लेख पुराणों में मिलता है लेकिन यहाँ प्रचलित नाम जानें- महेश, नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, पशुपतिनाथ, गंगाधर, नटराज, त्रिनेत्र, भोलेनाथ, आदिदेव, आदिनाथ, त्रियंबक, त्रिलोकेश, जटाशंकर, जगदीश, प्रलयंकर, विश्वनाथ, विश्वेश्वर, हर, शिवशंभु, भूतनाथ और रुद्र।
अमरनाथ के अमृत वचन : शिव ने अपनी अर्धांगिनी पार्वती को मोक्ष हेतु अमरनाथ की गुफा में जो ज्ञान दिया उस ज्ञान की आज अनेकानेक शाखाएँ हो चली हैं। वह ज्ञानयोग और तंत्र के मूल सूत्रों में शामिल है। 'विज्ञान भैरव तंत्र' एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव द्वारा पार्वती को बताए गए 112 ध्यान सूत्रों का संकलन है।
Dated :- 05-August 2015
To
All
Heads of Private /Government Schools of Mandi Gobindgarh/Punjab
Subject:- Regarding
Security of Your institution.
Respected Sir/Madam
With
due respect it is brought to your kind notice that due to the incidents of Dina-Nagar,
Security of all public places is need of the hour, So it will be better if you increase the security of your institution to avoid any unfavorable
event. There should be clear cut instructions to the Gate Man/Security man for not
to allow any person with weapons or with Army / Police uniform. It is for your
kind attention only.
Sincerely yours
President
Vishvaas Ek Umeed….(NGO)
Helpline 90564-80564
Team Vishvaas Ek Umeed Rattan chand ,Ravinder Singh Padam,, Dr Amit Sandhal,Ravinder Singh ,Rakesh Marken,Rajesh Guipta,Avtar Rehal,Narinder Bhatia,Sandeep Goyal,,Ajay Goyal,Vishal kapila
Team Vishvaas Ek Umeed Rattan chand ,Ravinder Singh Padam,, Dr Amit Sandhal,Ravinder Singh ,Rakesh Marken,Rajesh Guipta,Avtar Rehal,Narinder Bhatia,Sandeep Goyal,,Ajay Goyal,Vishal kapila
No matter where we roam
this Earth is our home.
The birds in the sky,
Watch them fly high.
The fish in the sea,
watch them as they swim happily.
This planet is one of a kind
another like it is hard to find.
Lets do more than just plain wishing.
Let’s make saving the planet our number 1 mission.
We all can do our share
for cleaner water and cleaner air.
Our future doesn’t have to be bleak
if a clean green Earth is what we seek.
this Earth is our home.
The birds in the sky,
Watch them fly high.
The fish in the sea,
watch them as they swim happily.
This planet is one of a kind
another like it is hard to find.
Lets do more than just plain wishing.
Let’s make saving the planet our number 1 mission.
We all can do our share
for cleaner water and cleaner air.
Our future doesn’t have to be bleak
if a clean green Earth is what we seek.
This touching environmental poem expresses the sadness that comes from watching our planet being destroyed.
I keep on hoping and wishing,
but our resources are diminishing,
The trees that do so much for you and for me,
Watch as they fall, one, two, three.
On the land and in the sea,
We are losing our biodiversity.
Our land, water and air
are being polluted, it’s just not fair.
Is what we’re gaining worth the cost,
as the planet of our birth is slowly being lost.
but our resources are diminishing,
The trees that do so much for you and for me,
Watch as they fall, one, two, three.
On the land and in the sea,
We are losing our biodiversity.
Our land, water and air
are being polluted, it’s just not fair.
Is what we’re gaining worth the cost,
as the planet of our birth is slowly being lost.
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